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एंजाइम क्या होते हैं, कार्य, सम्बंधित पाचक ग्रंथियाँ।

Enzymes kya hote hain
Enzymes kya hote Hain

(Enzymes kya hote hai) एंजाइम: यदि पाचन (Digestion) क्रिया की बात करे तो एन्ज़ाइम्स इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। "जटिल एवं अघुलनशील खाद्य पदार्थों को भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं के द्वारा घुलनशील पदार्थों में बदलने की क्रिया को पाचन (Digestion) कहते हैं।" मनुष्य में भोजन का पाचन मुंह से ही प्रारंभ हो जाता है। बाद में भोजन आहार नाल के विभिन्न अंगों में से होता हुआ आगे बढ़ता है तथा भोजन को धीरे-धीरे पचाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं के फलस्वरूप इसका स्वरूप पूर्णतः  बदल जाता है। पाचन क्रिया (digestive process) में कुछ भौतिक और कुछ रासायनिक क्रियाएं होती हैं इन क्रियाओं में विशेषकर रासायनिक क्रियाओं में कुछ सूछ्म मात्रा में पाए जाने वाले पदार्थ विशेष महत्व के हैं जो इन क्रियाओं को  उत्तेजित करते हैं और उन्हें चलाते हैं इन पदार्थों को विकर या एंजाइम (Enzymes) कहते हैं।
यह एंजाइम पाचक रसों (Digestive Juices) में होते हैं। पाचन क्रियाओं के लिए आहार नाल में अलग-अलग स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रकार की पाचन ग्रंथियां (Digestive Glands) होती हैं। इन पाचक ग्रंथियों (Digestive glands) में ही पाचक रस (Digestive Juice) बनता है। इन पाचक रसों में एक या अधिक प्रकार के एंजाइम होते हैं, जो भोजन के विभिन्न घटकों को पचाने में सहायता करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसी ग्रंथियां आहार नाल से जुडी होती हैं जो अपना एंजाइम युक्त पाचक रस अहरनाल में भेजती हैं।
विभिन्न पाचक रस, उनके एंजाइम तथा कार्य 
(Various Digestive Juices, Their Enzymes and Function)
क्र∘ सं∘ 
पाचक ग्रंथियों के नाम
(Digestive Glands Name) 
रस का नाम
(Name of Juices) 
एंजाइम
(Enzymes) 
कार्य क्षेत्र
(Working  Area) 
भोजन जिसको पचाया जाता है
(Food that is digested) 
1. लार ग्रंथियाँ
(Salivary Glands)
लार रस  टायलिन  मुखगुहा  मण्ड (Starch)
2. जठर ग्रंथियाँ
(Gastric Glands)  
जठर रस  पेप्सिन, रेनिन, लाइपेज आमाशय (Stomach) प्रोटीन, दूध, वसा पचाने में सहायक 
3. यकृत (Liver)  पित्त रस  ग्रहणी (Duodenum) वसा पचाने में सहायक
4. अग्न्याशय
(Pancreas) 
अग्न्याशयिक रस  ट्रिप्सिन  ग्रहणी (Duodenum) प्रोटीन के अवयव 
एमाइलेज  ग्रहणी (Duodenum) मण्ड (Starch) तथा इसके अवयव
लाइपेज  ग्रहणी (Duodenum) वसा
5. आन्त्र ग्रंथियाँ
(Intestinal Glands)
आन्त्र रस  इरेप्सिन  छोटी आँत (Small Intestine) प्रोटीन के अधपचे अवयव
माल्टेज  छोटी आँत (Small Intestine) माल्टोज
लैक्टेज  छोटी आँत (Small Intestine) लैक्टोज
सुक्रेज  छोटी आँत (Small Intestine) सुक्रोज
लाइपेज  छोटी आँत (Small Intestine) वसा

ऊपर दी गई सारणी से स्पष्ट है कि मनुष्य की आहार नाल में भोजन का पाचन मुंह से ही प्रारंभ हो जाता है तथा इसके विभिन्न अवयवों का पाचन विभिन्न एंजाइम के कारण होता है। भोजन को आहार नाल में आगे बढ़ाने के लिए क्रमाकुंचन (Peristalsis) नामक एक विशेष प्रकार की गति होती है। जिससे भोजन पाचक रस के साथ अच्छी तरह से मिल जाता है।

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आहारनाल के विभिन्न अंगों में पाचन निम्न प्रकार से होता है-
1. मुखगुहा में पाचन (Digestion in Buccal cavity):-  मुखगुहा में भोजन दातों द्वारा चबाकर लार मिलाई जाती हैं। लार में Tylin (टायलिन)  एंजाइम होता है जो मण्ड  (Starch) पर  क्रिया करके उसे शर्करा में बदल देता है। भोजन लेई-सा होकर ग्रसनी के  निगलद्वार तथा ग्रासनली में से होकर अंत में आमाशय (Stomach) में पहुंच जाता है।

2. आमाशय में पाचन (Digestion in Stomach):- आमाशय में लगातार क्रमाकुंचन (Peristalsis) नाम के बल के कारण भोजन पिसता  रहता है साथ ही जठर ग्रंथियों (Gastric Glands) से निकला जठर रस (Gastric Juice) भी इसमें मिलता है।  जठर रस (Gastric Juice) में नमक के अम्ल या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) के अतिरिक्त Propepsin and Prorenin नामक Proenzymes  होते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) इन Proenzymes को क्रियाशील बनाता है तथा भोजन को सड़ने से बचाता है। Propepsin Asid के साथ मिलकर पेप्सिन (Pepsin) में बदल जाता है और भोजन के प्रोटीन पर क्रिया करता है। इसी समय Prorerin भी Renin में बदल कर दूध को फाड़कर उनके प्रोटीन्स  अलग करता है। प्रोटीन्स (Proteines)  पेप्सिन (Pepsin) के प्रभाव से  Peptones में बदल जाता है।
उपर्युक्त प्रतिक्रियाओं के कारण भोजन भूरे रंग की लेई के रूप में बदल जाता है। इसे काइम (chyme) कहते हैं। यह अब ग्रहणी (Duodenum) में पहुंचता है।

3. ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum):- ग्रहणी में काइम (अधपचा भोजन) में पहले पित्त रस (Bile Juice) तथा बाद में अग्न्याशयिक रस (Pancreatic Juice) मिल  जाता है।  पित्त रस क्षारीय होता है। यह भोजन की अम्लीयता  दूर करता है। तथा अग्न्याशयिक रस के प्रोएन्ज़इम्स को क्रियाशील अवस्था में बदलता है।  अग्न्याशयिक रस में तीन Enzymes  होते है।
(ⅰ) ट्रिप्सिन (Trypsin)- बचे हुए अधपचे प्रोटीन और पेप्टोंस पर क्रिया करके उनको अमीनो अम्ल में बदलता है।
(ⅱ) एमाईलोप्सिन (Amylopsin)- विभिन्न प्रकार की शर्कराओं और मण्ड (Starch) को ग्लूकोज में बदलता है।
(ⅲ) स्टैप्सिन (Steapsin)- वसाओं पर क्रिया करके उन्हें वसीय अम्ल तथा ग्लीसरोल में बदलता है। 
ग्रहणी में अधिकतर पाचन पूरा हो जाता है। शेष पाचन क्षुद्रांत (Ileum)  में पूरा हो जाता है।

4. क्षुद्रांत में पाचन (Digestion on Ileum or Small Intestine):- क्षुद्रांत में आन्त्र ग्रन्थियों से आन्त्र रस स्त्रावित होता है।  इसमें कई Enzymes होते है जैसे इरेप्सिन (Erepsin) । ये शेष प्रोटीन तथा उसके  अवयवों को ऐमीनो अम्ल में और माल्टेजे, इन्वर्टेज, लैक्टेज इत्यादि विभिन्न शर्कराओं को ग्लूकोज में तथा लाईपज शेष वसाओं को ग्लिसरॉल तथा वसीय अम्लों में बदल देते है।
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